जब मै बानारस गंगा घाट घुमने गया
क्या नाजारा था लाखो लोग गंगा मे
डुबकी लगाने आए थे वो सावन का
महीना नागपंचमी के दिन सोमवार
बाबा भोलेनाथ की नगरी कासी का
गजब का नाजारा था
  


मै और मेरे बहुत ही अच्छे मित्र विकाश कुमार यादव जिनका घर ईलहाबाद है जो अभी बानारस मे रहते है वो मुझे घुमाने
ले गए थे मेरे साथ एक मेरा भाई भी था सुजीत कुमार गुप्ता हम तीनो ने गंगा मे स्नान किया
उस दिन नागपंचमी था विकाश भाई ने अपने गले मे सांप लपेटा मुझे तो वहुत डर लग राहा था
फिर हम सभी ने कुछ समाने खरीदी घुम के बहुत आनंद आ
राहा था फिर मै और विकाश बानारस के पान खाए वाकई 
लाजावाब पान था 

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